इस बार बारिश खूब जमकर बरस रही है। इसी बहाने मौसम विभाग को अपनी पुरानी धूल खा रही फाइलों को झाड़ने का मौका मिल गया। कर्मचारी हर रोज़ ये तय करने में व्यस्त हैं कि आज की बरसात के बाद कौन से साल का रिकार्ड टूटा। चलो इसी बहाने इनको कोई काम मिल गया ।
बारिश हो रही है तो सड़कें, जिनमे सिर्फ गड्ढे हुआ करते थे अब तालाब की शक्ल इख्तियार कर रही हैं। ठेकेदार हिसाब लगाने में व्यस्त हैं अब ठेकें छूटेंगे तो कितनी कमाई होगी। उम्मीद बढाती बारिश के बहाने ठेकेदारों को बड़ी जेबों वाली पतलूने सिलवाने का मौका मिल गया और रेडीमेड के दौर में दर्जियों को कुछ काम।
बारिश खूब है तो बाढ़ तो होगी ही, बाढ़ होगी तो बाढ़ पीड़ित भी होंगे और बाढ़ पीड़ित होंगे तो उनके लिए सरकारी और गैर सरकारी फंड भी रिलीज़ होंगे मतलब कमाई होगी। तो सरकारी और बहुत सारे गैर सरकारी बंधुओं की उम्मीद को पंख लग गए इस बारिश के बहाने।
आपने भी महसूस किया होगा पिछले कई सालों से बारिश को लेकर कोई बढ़िया सा रोमांटिक गाना सुनने को नहीं मिला है। बेचारे गीतकार भी क्या करें बारिश होती ही नहीं तो आजकल के प्रेमी युगलों के हृदयों में वो काली घटा के छाने से उठने वाली हूक ही गायब है, वो उस अहसास से ही नावाकिफ हैं इसलियें उन् गानों का मार्केट भी नहीं हैं। दादी-नानी उस ज़माने के किस्से बड़े मज़े लेकर सुनाती हैं जब राजकपूर और नर्गिस का गाना "बरसात में हम से मिले तुम सजन तुम से मिले हम, बरसात में...तक धिना धिन...." उनके अहसासों को हवा दिया करता था। और आंटियां भी कहाँ पीछे हैं वो भी तो याद करती हैं जब जया भादुरी और शर्मीला टगोर का गाना " अब के सजन सावन में आग लगेगी की बदन में..." कैसे उनके दिलों को झकझोर दिया करता था। और अंकल आप भी तो याद करते हैं ना किशोर दा का वो गाना " रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन...." आज भी मन को भिगो देता है। और उस पर अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी के मरीन ड्राइव पर भीगते हुए चित्र मदहोश कर देते थे। मगर अब ना ही तो अब "काली घटा छाती है ना ही प्रेम रुत आती है ..." , ना ही "भीगी भीगी रातोंमें रिमझिम के गीत सावन गाये" और न ही सावन आये झूम के। और जब ये सब नहीं है तो आप रपटेंगे कहाँ और गायेंगे कैसे कि "आज रपट जाएँ तो हमें न उठइयो..." । मगर इस बार बारिश खूब है तो इसी बहाने फिल्म वालों को भी बहाना मिल जायेगा अपनी हीरोइन को भिगोने का और दर्शकों को किसी आइटम नंबर के साथ कोई बढ़िया सा बरसाती रोमांटिक गाना मिल ही जायेगा।
बारिश के बहाने और भी कुछ होगा जिसका अहसास शायद आप और हमें न हो, इस बारिश में यमुना खूब भर कर बह रही है उन्हें भी अपने पुराने दिन याद आ रहें होंगे और वो शायद मन ही मन खुश होगी उन लोगों भागते देख कर जो उसकी छाती पर ज़बरदस्ती कब्ज़ा जमाये बैठे हैं । ताज महल के बारे में सिर्फ सुनते थे कि यमुना के किनारे है मगर यमुना उस से बहुत दूर नज़र आती थी अब ताज को भी अपने गुज़ारे ज़माने की याद ताज़ा हो गई होगी और ज़न्नत में मुमताज़ और शाहजहाँ की रूह को भी सुकून मिला होगा अपने ताज को एक बार फिर यमुना के किनारे देख।
चलिए साहब बारिश के बहाने इतना कुछ हो गया मगर मैंने और आपने क्या किया , भई आप का तो मुझे पता नहीं मगर हाँ मुझे ज़रूर मौका मिल गया इतने दिनों बाद ब्लॉग पर कुछ लिखने का और आपसे मिलने का, और मैं बहुत खुश हूँ। गर्म चाय का प्याला साथ में कुछ गरमा गरम पकोड़े हैं लैपटॉप के की पैड पर अपने अहसासात को टाइप कर रहा हूँ और गुनगुना रहा हूँ ...तुम से मिले हम , हम से मिले तुम बरसात में.......
नमस्कार, खुदा हाफिज़
गौतम