Monday, September 27, 2010

प्रतीक्षा ....


इस तस्वीर को देख कर आपके मन में कुछ न कुछ अवश्य उभर आएगा... जो भी विचार आपके मन में उत्पन्न हो रहे हैं...यहाँ शब्दों के रूप में आप उकेर सकते हैं....
(चित्र में स्व० श्री राम सिंह, ग्राम पिलखनी, सहारनपुर, उ०प्र० )

Wednesday, September 15, 2010

बारिश के बहाने

इस बार बारिश खूब जमकर बरस रही हैइसी बहाने मौसम विभाग को अपनी पुरानी धूल खा रही फाइलों को झाड़ने का मौका मिल गयाकर्मचारी हर रोज़ ये तय करने में व्यस्त हैं कि आज की बरसात के बाद कौन से साल का रिकार्ड टूटा। चलो इसी बहाने इनको कोई काम मिल गया
बारिश हो रही है तो सड़कें, जिनमे सिर्फ गड्ढे हुआ करते थे अब तालाब की शक्ल इख्तियार कर रही हैंठेकेदार हिसाब लगाने में व्यस्त हैं अब ठेकें छूटेंगे तो कितनी कमाई होगीउम्मीद बढाती बारिश के बहाने ठेकेदारों को बड़ी जेबों वाली पतलूने सिलवाने का मौका मिल गया और रेडीमेड के दौर में दर्जियों को कुछ काम
बारिश खूब है तो बाढ़ तो होगी ही, बाढ़ होगी तो बाढ़ पीड़ित भी होंगे और बाढ़ पीड़ित होंगे तो उनके लिए सरकारी और गैर सरकारी फंड भी रिलीज़ होंगे मतलब कमाई होगीतो सरकारी और बहुत सारे गैर सरकारी बंधुओं की उम्मीद को पंख लग गए इस बारिश के बहाने
आपने भी महसूस किया होगा पिछले कई सालों से बारिश को लेकर कोई बढ़िया सा रोमांटिक गाना सुनने को नहीं मिला हैबेचारे गीतकार भी क्या करें बारिश होती ही नहीं तो आजकल के प्रेमी युगलों के हृदयों में वो काली घटा के छाने से उठने वाली हूक ही गायब है, वो उस अहसास से ही नावाकिफ हैं इसलियें उन् गानों का मार्केट भी नहीं हैंदादी-नानी उस ज़माने के किस्से बड़े मज़े लेकर सुनाती हैं जब राजकपूर और नर्गिस का गाना "बरसात में हम से मिले तुम सजन तुम से मिले हम, बरसात में...तक धिना धिन...." उनके अहसासों को हवा दिया करता थाऔर आंटियां भी कहाँ पीछे हैं वो भी तो याद करती हैं जब जया भादुरी और शर्मीला टगोर का गाना " अब के सजन सावन में आग लगेगी की बदन में..." कैसे उनके दिलों को झकझोर दिया करता थाऔर अंकल आप भी तो याद करते हैं ना किशोर दा का वो गाना " रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन...." आज भी मन को भिगो देता हैऔर उस पर अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी के मरीन ड्राइव पर भीगते हुए चित्र मदहोश कर देते थेमगर अब ना ही तो अब "काली घटा छाती है ना ही प्रेम रुत आती है ..." , ना ही "भीगी भीगी रातोंमें रिमझिम के गीत सावन गाये" और ही सावन आये झूम केऔर जब ये सब नहीं है तो आप रपटेंगे कहाँ और गायेंगे कैसे कि "आज रपट जाएँ तो हमें उठइयो..." । मगर इस बार बारिश खूब है तो इसी बहाने फिल्म वालों को भी बहाना मिल जायेगा अपनी हीरोइन को भिगोने का और दर्शकों को किसी आइटम नंबर के साथ कोई बढ़िया सा बरसाती रोमांटिक गाना मिल ही जायेगा
बारिश के बहाने और भी कुछ होगा जिसका अहसास शायद आप और हमें हो, इस बारिश में यमुना खूब भर कर बह रही है उन्हें भी अपने पुराने दिन याद रहें होंगे और वो शायद मन ही मन खुश होगी उन लोगों भागते देख कर जो उसकी छाती पर ज़बरदस्ती कब्ज़ा जमाये बैठे हैंताज महल के बारे में सिर्फ सुनते थे कि यमुना के किनारे है मगर यमुना उस से बहुत दूर नज़र आती थी अब ताज को भी अपने गुज़ारे ज़माने की याद ताज़ा हो गई होगी और ज़न्नत में मुमताज़ और शाहजहाँ की रूह को भी सुकून मिला होगा अपने ताज को एक बार फिर यमुना के किनारे देख
चलिए साहब बारिश के बहाने इतना कुछ हो गया मगर मैंने और आपने क्या किया , भई आप का तो मुझे पता नहीं मगर हाँ मुझे ज़रूर मौका मिल गया इतने दिनों बाद ब्लॉग पर कुछ लिखने का और आपसे मिलने का, और मैं बहुत खुश हूँगर्म चाय का प्याला साथ में कुछ गरमा गरम पकोड़े हैं लैपटॉप के की पैड पर अपने अहसासात को टाइप कर रहा हूँ और गुनगुना रहा हूँ ...तुम से मिले हम , हम से मिले तुम बरसात में.......
नमस्कार, खुदा हाफिज़
गौतम